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On Hindi Grammar हिंदी व्याकरण: Bhaashaa Mein Saahacarya Association in Language

On Hindi Grammar हिंदी व्याकरण: Bhaashaa Mein Saahacarya Association in Language : भाषा में साहचर्य वृषभ प्रसाद जैन मेरे वि़द्यागुरु प द्म भूषण आचार्य पण्डित विद्यानिवास मिश्र जी अक्सर यह कहते थे कि किसी भी भाषा को...

Bhaashaa Mein Saahacarya Association in Language

भाषा में साहचर्य वृषभ प्रसाद जैन मेरे वि़द्यागुरु प द्म भूषण आचार्य पण्डित विद्यानिवास मिश्र जी अक्सर यह कहते थे कि किसी भी भाषा को और उसके व्याकरण को सीखने के लिए भाषा में व्याप्त या भाषा की प्रकृति में व्याप्त ‘ साहचर्य ’ को जानना चाहिए। अब प्रश्न उठेगा कि ‘ साहचर्य ’ क्या है ?......... भाषा में रहने वाली भाषिक इकाइयों का प्रयोग चाहे जहाँ या चाहे जिसके साथ नहीं होता। भाव यह है कि कौन-सी क्रिया किस अवस्था वाले कर्ता के साथ प्रयुक्त होती है या किस प्रकार की विशेष क्रिया के साथ कौन-सा कर्ता प्रयुक्त होता है , - यह जानना ही कर्ता और क्रिया के साहचर्य को जानना है या क्रिया और कर्ता के साहचर्य को जानना है। कोई भी भाषा स्वछन्द बिहार की अनुमति नहीं देती , वह अपने घट कों के लिए यह निर्धारित करके चलती है कि कौन-सी इकाई किस घटक विशेष के साथ या किन्हीं दूसरे घटकों के साथ किन विशेष परिस्थितियों में प्रयुक्त होती है। भाषा के सभी घटकों या सभी इकाइयों के सभी घटकों के सन्दर्भों की स्थिति विशेष को जानना , भाषा के घटकों के साहचर्य को जानना है। उदाहरण के लिए हिंदी की एक क्रिया ‘ भड़कना ’ को लेत