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भारतीय भाषाओं के व्याकरण पर कुछ विचार

भारतीय भाषाओं के व्याकरण पर कुछ विचार आज शुक्रवार 14 फ़रवरी 2020 की पत्रिका के प्रथम पृष्ठ से प्रथम समाचार के कुछ अंश की भाषा का थोड़ा विश्लेषण करते हैं— शीर्षक है—“स्टील स्ट्रक्चर में वेल्डिंग फेलियर के कारण टूटा एफओबी” । यह शीर्षक चार पदों वाली संरचना है। पहला पद “स्टील स्ट्रक्चर में” अधिकरण संरचना है और उसके तीनों घटकों में से पहले दो घटक अँग्रेज़ी शब्दकोश के हैं, केवल “में” परसर्ग या विभक्ति चिह्न हिन्दी से है और जो इस पद को अधिकरण-वाचक बनाता है। दूसरा पद है— “वेल्डिंग फेलियर के कारण”, इसके भी पहले ही दोनों शब्द अंग्रेज़ी से या अंग्रेजी के हैं, इन दोनों शब्दों को अपादान संरचना बनाने वाला केवल पदांश “के कारण” हिन्दी से या हिन्दी का है और तीसरा पद “टूटा” जो क्रिया पद है, भी हिंदी से ही है और फिर चौथे पद “एफओबी” की वाक्य की “टूटा” क्रिया के होने में कोई भूमिका नहीं है, परंतु व्याकरण की दृष्टि से उसे कर्ता कहा जाता है। यह बात इस तथ्य को कहती है कि हर वाक्य का कर्ता उस वाक्य की क्रिया का साक्षात् स्वनियंत्रित क्रिया को कराने वाला कर्ता नहीं होता, इसलिए क्रियाओं के क